व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारक (Factors of Personality Violence)
व्यक्तिगत विभिन्नताओं के कारक:-
1- वातावरण -
बालक जैसे वातावरण में पलता है । उसका व्यक्तित्व भी वैसा ही बनता है दो जुड़वा बच्चों में से यदि एक का पालन पोषण झुग्गी झोपड़ी में और दूसरे का अमीर घराने में हो तो उनके व्यक्तित्व में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलता है । इसी प्रकार एक बालक को साधारण स्कूल में पढ़ाया जाए तथा दूसरे को कॉन्वेंट में पढ़ाया जाए तो दोनो बालकों के व्यक्तित्व मैं बहुत अंतर आएगा बालक पर सभी प्रकार के वातावरणो का प्रभाव पड़ता है।
बालक की आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ उसका शारीरिक मानसिक संवेगात्मक विकास भी होता है । विभिन्न आयु के बालकों में अंतर होने से उनकी बुद्धि में भी अंतर होता है । कुछ बालक तेज बुद्धि के होते हैं तथा कुछ सामान्य बुद्धि के और कुछ मंदबुद्धि के अर्थात सभी बालक एक समान बुद्धि के नहीं होते हैं । आयु में वृद्धि से बालक की रुचि तथा बुद्धि में अंतर देखने को मिलता है ।
3- वंशानुक्रम-
वंशानुक्रम व्यक्तिगत भिन्नता का प्रमुख कारण है । रूसो, पियरसन और गाल्टन इसके प्रमुख समर्थक हैं । उनका कहना है कि व्यक्तियों की शारीरिक , मानसिक , चारित्रिक विभिन्नताओं का एक मात्र कारण कारण उनका वंशानुक्रम ही है । इसलिए स्वस्थ , बुद्धिमान और चरित्रवान माता पिता की संतान भी स्वस्थ बुद्धिमान और चरित्रवान होती है । गर्भदान के समय ही वंशानुगत विशेषताएं बच्चे में प्रवेश हो जाती हैं । इन विशेषताओं में आधी माँ के वंश से तथा आधी पिता के वंश से प्राप्त होती हैं । इसी प्रकार कुछ गुण दादा-दादी से कुछ परदादा-परदादी से तथा कुछ परनाना-परनानी से प्राप्त होते हैं । इन सभी से कौन सा गुण बच्चों को प्राप्त होंगे यह निश्चित नहीं होता । यह संयोग पर निर्भर करता है ।
4- लिंग भेद-
व्यक्तिगत विभिन्नताओं का कारण लिंगभेद भी है । किस भेद के कारण बालक और बालिकाओं की शारीरिक बनावट में अंतर तो होता ही है साथ ही उनके सोचने-विचारने एवं कार्यशैली में भी अंतर देखने को मिलता है ।लड़कियां लड़कों की तुलना में कम शक्तिशाली , कोमल स्वभाव की कथा लज्जाशील होती हैं जबकि लड़के साहसी , उदंड तथा कठोर स्वभाव के होते हैं ।
5- परिपक्वता-
परिपक्वता एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी कार्य को करने मैं स्वयं सक्षम हो जाता है ।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार
" एक बालक तब तक नहीं सीख सकता जब तक वह सीखने के लिए तैयार न हो अर्थात परिपक्व ना हो ।"
nice
जवाब देंहटाएंThanks Bhai
हटाएंNice Sir
जवाब देंहटाएंकमेंट करके हमें बतायें आपको ये पोस्ट कैसी लगी।