अधिगम के प्रकार एवं अधिगम का स्थानांतरण
विवरण –
अधिगम, या ज्ञान प्राप्ति, मनुष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिगम के प्रकार और अधिगम के स्थानांतरण के विषय में जानकारी होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें नई जानकारी प्राप्त करने और उसे समझने की क्षमता प्रदान करता है।
डेविड आसुबल ने अधिगम के चार प्रकार बताए हैं-
1. रटन्त अधिगम
2. अभिगृहण अधिगम ( सुनकर या देखकर गृहण करना )
3. सार्थक अधिगम ( अर्थ को समझ कर सीखना )
4. अन्वेषण अधिगम ( प्रयोग द्वारा या क्रिया द्वारा सीखना)
अन्वेषण अधिगम को सबसे बेहतर अधिगम माना जाता है ।
अधिगम के स्थानांतरण
एक जगह सीखे गए अधिगम का दूसरी जगह प्रयोग करना या दूसरे अधिगम में सहायक होना अधिगम का स्थानांतरण कहलाता है।
अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत :-
1. अधिगम स्थानांतरण का सामान अवयव का सिद्धांत - थार्नडाइक द्वारा दिया गया ।
2. अधिगम स्थानांतरण का आरोपण का सिद्धांत - यह सिद्धान्त कोहलर ने दिया है, पहले और बाद के अधिगम में जितने तत्व समान होंगे आरोपण सिर्फ वहीं तक माना जाएगा ।
3. अधिगम स्थानांतरण का सामान्यीकरण/उभयनिष्ठ तत्व का सिद्धांत :- इस सिद्धांत को चार्ल्स जुड ने दिया है।
4. स्थानांतरण का G- कारक सिद्धांत :- "स्पियर मैन"
स्पीयर मैन के अनुसार G-कारक हमें सभी मानसिक कार्यों में सहायता करता है इसलिए सिर्फ G-कारक का ही स्थानान्तरण होगा। S- कारक प्रत्येक व्यक्ति में समान नहीं होता इसलिए इसका (S-कारक) का स्थानांतरण नही होता।
G-S कारक स्पीयरमैन ( स्पीयरमैन का द्विकारक सिद्धांत)
नोट- "G-कारक ही स्थानान्तरण होगा" - स्किनर
अधिगम स्थानांतरण के प्रकार
1. शून्य स्थानांतरण :-
जब पहले का अधिगम बाद के अधिगम में कोई सहायता न करे तो शून्य स्थानांतरण होगा।
2. नकारात्मक स्थानांतरण :–
जब पहले का अधिगम बाद के अधिगम में या बाद का अधिगम पहले के अधिगम में बाधा उत्पन्न करे तो नकारात्मक स्थानांतरण होगा । जैसे - कक्षा 5 तक हिंदी माध्यम से सीखने वाले बच्चों को कक्षा 6 में अंग्रेजी माध्यम द्वारा सीखना ।
3. सकारात्मक/ धनात्मक स्थानांतरण :-
पहले का अधिगम बाद के अधिगम में सहायक सिद्ध हो तो वह अधिगम सकारात्मक अधिगम होगा ।
4. ऊर्ध्वाधर/ लंबवत स्थानांतरण :-
जब निम्न स्तर पर सीखा गया अधिगम, अत्यंत उच्च स्तर पर प्रयोग कर दिया जाए तो उसे उर्ध्वाधर स्थानांतरण कहा जाएगा ।
जैसे– सेब को गिरता देखकर गुरुत्वाकर्षण का पता लगाना ।
नोट - हर उर्ध्वाधर स्थानांतरण सकारात्मक स्थानांतरण जरूर होगा लेकिन हर सकारात्मक स्थानांतरण ऊर्ध्वाधर हो यह जरूरी नहीं है।
5. क्षैतिज स्थानांतरण : -
जब दो प्रकार के अधिगम आपस में कोई भी सीधा संबंध न रखते हों फिर भी एक का प्रयोग दूसरे में हो जाए तो उसे क्षैतिज स्थानांतरण कहते हैं ।
जैसे- गणित के सूत्रों का भौतिकी में प्रयोग ।
6. पार्श्विक स्थानांतरण :-
जब एक जगह सीखे अधिगम का उसी से मिलते-जुलते अधिगम में प्रयोग हो जाए तो यह पार्श्विक स्थानांतरण कहलाता है।
7. द्विपार्श्विक स्थानांतरण:-
जब एक अंग या एक क्षेत्र में सीखा गया अधिगम उसी कुशलता के साथ दूसरे अंग या क्षेत्र में निपुणता दिला दे तो इसे अधिगम का द्विपार्श्विक स्थानांतरण कहते हैं ।
जैसे - दोनों हाथों से निपुणता पूर्वक लिखना ।
निष्कर्ष:-
सीखने का स्थानांतरण वह महत्वपूर्ण पुल है जो हमारे ज्ञान और कौशल को एक संदर्भ से दूसरे संदर्भ में जोड़ता है। यह केवल तथ्यों को याद रखने या किसी विशेष कार्य में महारत हासिल करने के बारे में नहीं है बल्कि हमने जो सीखा है उसे नई और विभिन्न स्थितियों में लागू करने की क्षमता के बारे में है। चाहे कक्षा में, काम पर, या रोजमर्रा की जिंदगी में, सीखने के हस्तांतरण की शक्ति को समझने और उसका उपयोग करने से अधिक प्रभावी शिक्षार्थी बना सकते हैं। सीखना पाठ्यपुस्तकों या कक्षाओं तक सीमित नहीं है; यह बिंदुओं को जोड़ने और ज्ञान को वास्तव में सार्थक बनाने की एक आजीवन यात्रा है। इसलिए, अगली बार जब आप नया ज्ञान या कौशल हासिल करें, तो उस ज्ञान को अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में एक मूल्यवान संपत्ति बनाने में सीखने के हस्तांतरण के महत्व को याद रखें।
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